Thursday, 17 January 2019

संवेदनाओं का स्वेटर  (कविता)

ठिठुरन से भरी हुई
सर्द मौसम की रातों में
,
जागके चुपके-चुपके
तेरे ख्यालों के फंदो से 

मन के नर्म भावों कि सीलाइयां
पर, बुना है तुम्हारे लिए एक 

स्वेटर, एहसासों की धागों
के गोले बनाकर 

नर्म बैंगनी धागों के कुछ फंदे
सीधे, कुछ फंदे उल्टे जोड़

दिए, कहीं कुछ गम के फंदे
घटा दिए, मन की उम्मीदों से 

नाप लिया है... तुम्हारा
जिंदगी के कुछ नमूने भी 

डाल दिए
सुनो, कहीं कोई फंदा जो खुला 

रह जाए गर
तुम अपने अनुभवों के सलीके 

से इसे बंद कर लेना
देखो उधड ना जाए, अपने 

रिश्तो का स्वेटर
सर्द मौसम में जो राहत दे सके 

तुम्हारी रूह को
मैंने बुना है गर्म देह-सा, नरम 

अहसासों-सा, तुम्हारे लिए
संवेदनाओं का स्वेटर।।।

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